Geeta ghan in hindi
आपकी हर परेशानी का हल गीता की इन बातों में।
आज हम आपको इस पोस्ट में श्रीमद्भागवत गीता की 5 ऐसी बातों के बारे में बताएंगे। जिसे अगर कोई भी मनुष्य अपनाता है तो उसे अपनी हर परेशानी का हल इन बातों में ही मिल जाएगा। वह मनुष्य लालच ,क्रोध, सभी बंधनों से मुक्त हो जाएगा। तो चलिए हम आपको बताते हैं इन बातों के बारे में।
Subscribe for latest updates1-पहली बात
जीवन का हर क्षण निर्णय का क्षण होता है। प्रति एक पथ पर दूसरे पथ के लिए कोई निर्णय करना ही पड़ता है। और यह निर्णय अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं। आज किए गए निर्णय भविष्य में सुख-दुख निर्मित करते हैं। ना केवल अपने लिए अपने परिवार के लिए भी करते हैं। जब कोई दुविधा सामने आती है तो मन व्याकुल हो जाता है। निर्णय का क्षण युद्ध बन जाता है और मन बन जाता है युद्ध भूमि। अधिकतर निर्णय हम अपने दुविधा का उपाय करने के लिए नहीं केवल मन को शांत करने के लिए लेते हैं। पर क्या कोई दौड़ते हुए भोजन कर सकता है नहीं । तो क्या युद्ध से जूझता हुआ मन कोई योग्य निर्णय ले पाएगा। वास्तव में जब कोई शांत मन से निर्णय करता है तो अपने लिए सुखद भविष्य बनाता है। किंतु अपने मन को शांत करने के लिए कोई निर्णय करता है तो वह व्यक्ति भविष्य में अपने लिए कांटों से भरा वृक्ष लगाता है। स्वयं विचार कीजिए गा।
2-दूसरी बात
पिता सदा ही अपने संतान की सुख की कामना करते हैं। किंतु 3 प्रश्नों के ऊपर विचार करना भूल जाते हैं। प्रथम प्रश्न क्या समय के साथ प्रत्येक मार्ग बदल नहीं जाते। दूसरा प्रश्न क्या सभी संतान अपने माता पिता की छवि होता है। तीसरा प्रश्न क्या जीवन की संघर्ष और चुनौतियां लाभकारी नहीं होती। संतानों के जीवन की मार्ग निश्चित करने के बदले उन्हें संघर्षों के साथ जूझना मनोबल व ज्ञान देना अधिक लाभदायक नहीं होगा। स्वयं विचार कीजिए।
3-तीसरी बात
जो हुआ
अच्छे के लिए हुआ
जो हो रहा है।
यह भी अच्छे के लिए हो रहा है।
जो भी होगा।
वो भी अच्छे के लिए ही होगा।
आप जिस भी वजह से निराश है। उसे भूल जाए।
वर्तमान में अगर कुछ भी अगर बहुत दुख दे रहा है। तो उसके पीछे निश्चित ही बहुत ही अच्छा कारण छुपा होगा। यह एक ऐसा चक्र है जिसे आपको स्वीकार करना ही पड़ेगा। इसलिए ना ही आप आने वाले कल और बीते हुए कल के बारे में सोचें। आपके पास वर्तमान है उसमें खुश रहीए।
4-चौथी बात
भविष्य का दूसरा नाम संघर्ष है। जीवन ना भविष्य में है और ना ही अतीत में जीवन तो इस पल का नाम है हम यह जानते हुए भी इतना सा सत्य समझ नहीं पाते हैं। जीवन बीत जाता है। एक सत्य अगर आप अपने हदय में उतार लेते हैं कि हम ना ही भविष्य को देख सकते है और ना निर्मित कर सकते है ।हम तो केवल धैर्य और साहस के साथ विषय को आलिंगन दे सकते हैं। स्वागत कर सकते हैं भविष्य का तो क्या जीवन का हर पल खुशियों से नहीं भर जाएगा । स्वयं विचार कीजिएगा।
5-पांचवी बात
किंतु यह आवश्यक नहीं है कि आप जिससे प्यार करते हो उसे भी आपसे प्यार हो क्योंकि प्रेम कोई वस्तु नहीं है। राज्य ना धन जिसे आप अपने बल से अपने वश में कर सकते हैं। प्रेम वो शक्ति है जो आपके लिए हर बंधन तोड़ सकती है किंतु खुद किसी बंधन में नहीं फसती है। आप जिस से भी प्रेम करते हो उसे स्वतंत्र छोड़ दीजिए क्योंकि स्वतंत्र ही तो भाव है जो जीव को सबसे अधिक प्रिय है। प्रेम सच्चा है तो उसे स्वयं समझ आएगा तब तक निस्वार्थ भाव से प्रेम कीजिए। स्वार्थ हट जाएगा तो प्रेम आ ही जाएगा।
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