Lord Rama death //कैसे हुई भगवान श्री राम की मौत।
आज इस पोस्ट में हम आपको भगवान श्री राम की मौत कैसे हुई थी बताने वाले हैं।दोस्तो आप सोच रहे होंगे भगवान श्री राम की कैसे मौत हो सकती हैं। लेकिन दोस्तों इस पृथ्वी का तो नियम है जो भी प्राणी पृथ्वी पर जन्म लेगा उसकी मौत तो निश्चित है। चाहे वह कोई भी हो। भगवान श्रीराम ने राक्षस रावण को मारने के लिए पृथ्वी पर श्री राम का अवतार लिया था। इसी कारण उन्हें अपना शरीर त्यागना तो था ही। तो आज किस पोस्ट में हम आपको बताएंगे भगवान श्री राम और भगवान श्री राम के साथ जन्म लेने वाली महान आत्माओं ने अपना शरीर किस तरह त्याग किया।
जैसा कि आप सभी जानते हैं भगवान श्रीराम ने राक्षस रावण को मारने के बाद अयोध्या में आ गए थे। और अयोध्या के राजा बने थे और सुख पूर्वक रहने लगे थे। परंतु उनके ही राज के धोनी की बातों ने उन्हें दुविधा में डाल दिया था। दरअसल हुआ यूं कि धोनी की पत्नी एक रात के लिए घर से बाहर रही थी और फिर धोबी ने अपनी पत्नी को घर से निकालते हुए क्रोध में कह दिया था कि मैं राजाराम नहीं हूं जो किसी पराए घर में रहकर आई सीता को अपने साथ रख लूं। भगवान राम जानते थे कि उनकी पत्नी सीता अग्नि के समान पवित्र है । फिर भी उन्होंने अपना राज धर्म निभाते हुए गर्भवती पत्नी माता सीता का तयाग कर दिया था।
फिर भगवान श्री राम के भाई लक्ष्मण देवी सीता को एक भयानक जंगल में छोड़ आए थे। तब देवी सीता ने
उसी वन में रहकर तप करने वाले महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में शरण ली थी। और उसी आश्रम में अपने 2 पुत्र लव और कुश को जन्म दिया था। और आप यह तो जानते ही होंगे जब माता सीता ने भगवान श्रीराम को उनके दो पुत्र सौंप दिए थे। तब माता सीता अपनी स्वयं जननी देवी पृथ्वी की गोद में समा गई थी। और भगवान श्री राम 11,000 वर्षों तक इस पृथ्वी पर रहे थे। और जब 11000 वर्ष पूरे होने वाले थे तब भगवान श्रीराम से एक तपस्वी मिलने आते हैं।
और भगवान श्रीराम से कहते हैं मैंं आपसे कुछ आवश्यक बातें करनाा चाहत हूं। लेकिन सबसे पहले आपको यह वचन देना पड़ेगा कि जो कोई भी हमारी बातो को सुुनेेेेेेगा या बातेंं करते यह देखिएगा उसका आपको वध करना पड़ेगा। तपस्वी की यह बात सुनकर भगवान श्रीराम ने जवाब दिया ठीक है ऐसा ही होगा। और फिर भगवान श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को बाहर द्वार पर पहरा देने के लिए कहा। और फिर उस तपस्वी ने भगवान श्रीराम से कहा मैं काल हूं और मुझे ब्रह्मा जी ने यह जानने के लिए भेजा है कि आपने स्वयं ही 11000 वर्षों तक पृथ्वी पर रहने की अवधि तय की थी वह पूरी हो चुकी है इसलिए आप इस पृथ्वी पर रहना चाहते हैं या अपने परमधाम में जाना चाहते हैं। दोस्तों जब भगवान श्री राम और काल बातें कर रहे थे तभी दुर्वाषा ऋषि भगवान श्रीराम से मिलने की इच्छा से उनके द्वार पर आ गए थे। और उन्होंने कक्ष के बाहर पहरा दे रहे लक्ष्मण से कहा भगवान श्रीराम को मेरे आने की खबर दे दो। परंतु लक्ष्मण ने भगवान श्री राम का आदेश पालन करते हुए ऋषि दुर्वासा से क्षमा मांगते हुए कहा भगवान राम अभी आप से नहीं मिल सकते हैं।आपको थोड़ा प्रतीक्षा करना पड़ेगा।इस बात को सुनकर ऋषि दुर्वासा को गुस्सा आ जाता है और कहते हैं भगवान श्रीराम को अभी मेरे आने की सूचना दी जाए नहीं तो मैं श्राप देकर भगवान राम ,लक्ष्मण और भारत सहित इस राज्य का विनाश कर दूंगा। ऐसा सुनकर लक्ष्मण ने सोचा क्यों न सभी की मृत्यु से अच्छा है केवल मेरी ही मृत्यु हो इसलिए लक्ष्मण भगवान श्री राम और काल से बातचीत कर रहे हैं कक्ष में पहुंच जाते हैं। और भगवान श्रीराम को दुर्वासा ऋषि के आने का समाचार बताते हैं।तब भगवान श्री राम काल को विदा करके दुर्वासा ऋषि का स्वागत करते हैं। दोस्तों भगवान श्रीराम ने काल को लक्ष्मण के सामने वचन दिया था जो उनकी बातों को सुनेगा या उन्हें बात करते हुए देखेगा उसका उन्हें वध करना पड़ेगा। अपने इस वचन से भगवान श्री राम परेशान हो जाते हैं। अब अपने इस वचन के अनुसार उन्हें अपने भाई का वध करना था। तो तभी वशिष्ठ ऋषि ने कहा कि आप अपने वचन को पूरा करते हुए लक्ष्मण का त्याग कर दीजिए क्योंकि किसी भी साधु पुरुष का त्याग करना उसका वध करना के सामान्य ही होता है। साधु की बातों को सुनकर भगवान श्री राम ने अपने भाई लक्ष्मण का त्याग कर देते हैं। जिस कारण लक्ष्मण आंसू बहाते हुए वहां से चले जाते हैं। और सीधा नदी के तट पर जाकर आचमन करते हैं और हाथ जोड़कर अपने संपूर्ण इंद्रियों को वश में करके अपनी सांसो को रोक लेते हैं। यह देखकर सभी देवता उन पर फूलों की बारिश करते हैं। और देवराज इंद्र उनके शरीर को लेकर स्वर्ग में चले जाते हैं। भगवान श्रीराम ने भी लक्ष्मण के मृत्युलोक छोड़ने के बाद मृत्युलोक छोड़ेंगे का फैसला कर लिया। और भगवान श्री राम का इस फैसले को सुनकर सुग्रीव सहित सभी वानर अयोध्या आ गए। भगवान राम, भरत के साथ सभी वानरों ने मृत्युलोक छोड़ने का फैसला कर लिया। लेकिन तभी भगवान श्रीराम ने हनुमान सहित पांच लोगों को मृत्युलोक छोड़ने से मना कर दिया। और सभी वानर और अयोध्या वासियों ने भगवान श्री राम के साथ नदी में प्रवेश किया। और उस नदी के जल में विलीन हो गए।
तो दोस्तों यह कहानी आपको कैसी लगी जरा कमेंट करके बताइए। और आगे भी ऐसे ही पोस्ट पढ़ने के लिए सब्सक्राइब कर लीजिए। fellow blog
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
Please fellow and support.thanks