गीता ज्ञान इन हिंदी//जीतने के लिए हारना क्यों जरूरी है।
Subscribe for latest updatesहर किसी को जीतने की होती है हर कोई हर चीज के बारे में सोचना है लेकिन कोई भी कभी हारने की नहीं सोचता है। बिना किसी विचार के बिना किसी सोचे समझे हमें सिर्फ जीतने की आकांक्षा होती है। कैसे भी बस जीत चाहिेए। आज तो ऐसा वातावरण बन चुका है जहां सब को जीत की लत सी लग गई है।और इसी जीत की भावना में हम कब अधर्म के रास्ते पर निकल जाते हैं हमें पता भी नहीं चलता है। आज का दौर ही ऐसा है किसी को भी हारने वाला संतान ,मित्र, संबंधी रिश्तेदार नहीं चाहिए। सबको तो जीतने वाले ही पसंद हैं। अगर जीत पाने के लिए अधर्म के रास्ते पर चलकर जीत पाई गई हो तो यह जोर जबरदस्ती से पाई गई जीत होती है या खरीद कर ली गई जीत होती है। असली जीत तो वही होता है जो मेहनत और लगन के बाद मिलती है।
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हमें अगर सच में जीत चाहिए तो हमें जीत के लिए कोशिश करना चाहिए और लगातार जीतने के लिए चिंतन करना चाहिए। अगर छल कपट करके जीत प्राप्त की जा रही हो तो वह जीत नहीं व्यापार है। भले ही समाज उसे जीत मान ले लेकिन जिसने यह जीत पाई है उसे पता है उसने कैसा अधर्म किया है। जो हार जाता है वह कम से कम अपनी गलतियों को तो सुधारता है। तभी तो भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है जहां पर धर्म है वहीं पर जीत है। अगर जीत पाने हैं तो मेहनत लगन करने के बाद पाई जाती है।fellow blog
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