How did lord Krishna die//भगवान श्री कृष्ण की मौत कैसे हुई//कैसे और किसके हाथों हुई
Subscribe for latest updatesदोस्तों क्या आप जानते हैं भगवान श्री कृष्ण की मौत कैसे हुई थी ।दोस्तों अब आप सोच रहे होंगे हम कैसे भगवान श्री कृष्ण की मौत की बात कैसे कर सकते हैं लेकिन दोस्तों आप खुद ही जानते हैं यह तो मृत्यु लोग हैं यहां का तो नियम ही है जो भी पृथ्वी पर जन्म लेगा उसकी मृत्यु तो जरूरी होगी इसलिए दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे भगवान श्री कृष्ण ने मृत्यु लोक से अपने शरीर को कैसे त्यागा। लेट्स स्टार्ट।यह भी पढ़ें-Lord Rama death//कैसे हुई भगवान श्रीराम की मौत।
Lord krishna death story
बात उस समय की है जब कुरुक्षेत्र में लड़ाई खत्म हो गई थी। अब तक माता गंधारी अपने सौ पुत्रों को खो चुकी थी।और माता गंधारी अपने पुत्रों को गोद में लेकर बहुत रो रही थी तभी उस समय भगवान श्री कृष्ण पहुंच जाते हैं माता गंधारी की आंखों में पट्टी था लेकिन फिर भी उन्होंने श्रीकृष्ण की आहट से उनको पहचान लिया। श्री कृष्ण को देखकर माता गंधारी का खून खौल उठता है। और माता गंधारी गुस्से में कहती हैं यह सारी तबाही कृष्ण ने की है और अगर श्रीकृष्ण ना होते तो शायद तबाही ना होती। और उनके 100 पुत्र की मृत्यु का कारण भगवान श्रीकृष्ण है। लेकिन माता गंधारी यह भूल जाती है कि उनके सभी पुत्र अधर्मी थे और अधर्म के राह पर चल रहे थे। और उन्होंने जैसा कर्म किया उनके साथ वैसा ही हुआ। लेकिन माता गंधारी को कुछ सूझ ही नहीं रहा था लगातार अपने पुत्रों को गोद में लेकर रो रही थी और गुस्से में भगवान श्रीकृष्ण को श्राप दे दिया बिना कुछ सोचे समझे कि 36 साल के अंदर ही श्रीकृष्ण की मृत्यु हो जाएगी।और उनकी नगड़ी भी पानी में डूब जाएगी और उनका वंश भी पूरी तरह तबाह हो जाएगा। वंश का कोई भी नहीं बचेगा।
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भगवान श्री कृष्ण यह सब सुनने के बावजूद भी खुश थे।फिर जाकर कई सालों के बाद माता गंधारी को समझ आया कि उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को यह शराब देकर सही नहीं किया। माता गंधारी फिर भगवान श्री कृष्ण के पैरों में जाकर गिर जाती है और भगवान श्री कृष्ण से कहती है श्री कृष्ण मुझे माफ कर दीजिए।श्री कृष्ण कहते हैं आपको माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है यह सब विधि का विधान है।
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मेरा आपका सभी का जीवन संसार के विधि के विधान के अनुसार ही चलता है और भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि आपका शराब भी समय के साथ जल्दी अपना असर दिखाएगा। फिर श्री कृष्ण द्वारका चले जाते हैं। द्वारका का धीरे-धीरे विकास होने लगा। द्वारिका में हर चीज की सुविधा उपलब्ध थी। और पूरा यदुवंश बहुत शक्तिशाली हो गया था। फिर गंधारी का शराब धीरे-धीरे अपना असर दिखाने लगा। फिर यदुवंश शक्तिशाली होने के साथ-साथ अहंकारी भी हो गए।
फिर कुछ दिनों के बाद यदुवंश वंश के कुछ बच्चे खेलने के लिए एक घने जंगल में जाते हैं। उसी जंगल में एक वृक्ष के नीचे ऋषि दुर्वासा तप कर रहे होते हैं। अभी यदुवंश के बच्चे तप कर रहे दुर्वासा ऋषि का मजाक उड़ाने लगते हैं उन पर हंसने लगते हैं और उनकी तपस्या को नष्ट कर देते हैं । इस पर ऋषि दुर्वासा को बहुत ज्यादा क्रोध आता है और ऋषि दुर्वासा क्रोध में कह देते हैं जल्दी तुम्हारे यदुवंश का नष्ट हो जाएगा। माता गंधारी और ऋषि दुर्वासा ने यदुवंश को नष्ट होने का श्राप दे दिया था। भगवान श्री कृष्ण को समझ आ गया अब अंत निकट ही है। उसी दिन यदुवंश के सभी लोगों ने बहुत ज्यादा मदिरा पी लिया था। और फिर एक दूसरे को मारने पीटने लगे। यह लड़ाई इतनी भयानक थी कि उसमें आधे से भी बहुत कम यदुवंश के लोग बच पाए थे और बाकी सभी की मृत्यु हो गई थी। जिससे भगवान श्री कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम बहुत ज्यादा दुखी हुए।बलराम जी तो इतने ज्यादा दुखी हो गए थे कि उन्होंने उस समय ही मृत्यु लोग छोड़ने का फैसला कर लिया। और अपना शरीर त्याग कर पृथ्वी लोग छोड़ कर चले गए। जिससे भगवान श्री राम काफी दुखी हुए।
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और भगवान श्री कृष्ण ने भी पृथ्वीलोक छोड़ने का फैसला कर लिया। फिर श्री कृष्ण एक पीपल के वृक्ष के नीचे तप करने बैठ जाते हैं। एक व्यक्ति जीरू नामक एक शख्स अपने शिकार की खोज में घूम रहा था। वह भगवान
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श्री कृष्ण के पैर को हिरण के पैर समझकर तीर चला देता है। और तीर जागर भगवान श्री कृष्ण को लग जाती है। और भगवान श्रीकृष्ण घायल हो जाते हैं और उसके बाद जैसे जीरू को पता चलता है कि तीर हिरण को नहीं भगवान श्री कृष्ण को लगी है।तो वह भगवान श्री कृष्ण के निकट जाकर भगवान श्री कृष्ण से हाथ जोड़कर माफी मांगने लगता है। तब भगवान श्रीकृष्ण हंस कर कहते हैं चिंता मत करो दुखी होने की कोई बात नहीं है यह मेरे कर्म का फल है। पिछले जन्म में तुम मछुआरे थे और मैं राम। तुम्हारा मैंने बिना किसी वजह के वध कर दिया था। इसलिए तुम्हारे हाथों ही मेरा प्राण जाना निश्चित है।जीरू तभी भगवान श्रीकृष्ण से एक सवाल पूछता है हे भगवान श्री कृष्ण आप तो भगवान है फिर क्यों आपने अपने ही यदुवंश को क्यों नहीं बचाया और उन्हें इस प्रकार क्यों मरने दिया। श्री कृष्ण ने जवाब दिया उनके पृथ्वीलोक छोड़ने के बाद यदुवंश और भी शक्तिशाली हो जाते जिसके बाद पृथ्वी का विनाश निश्चित था। जिसका समाधान ऋषि दुर्वासा और गांधारी के श्राप में ही था। श्री कृष्ण जी कहते हैं उनके पृथ्वी छोड़ने के बाद द्वारका को भी पानी में डूब जाएगा।
और भगवान श्री कृष्ण अपना शरीर त्याग कर स्वर्ग चले जाते हैं।अब तो दोस्तों आप समझ ही गए होंगे आप जैसा कर्म करेंगे वैसा ही आपके साथ होगा चाहे वो इस जन्म में आपको मिले या आपके अगले जन्म में आपको मिले चाहे आप भगवान ही क्यों ना हो जैसा कि आपने इस कहानी में देखा ही भगवान श्री कृष्ण भगवान होते हुए भी अपने कर्म का फल भुगतना पड़ा और फिर हम तो मनुष्य है इसलिए ज्यादा से ज्यादा अच्छे कर्म करें दूसरों का भला करें। और ऐसी ही मजेदार पोस्ट पढ़ते रहने के लिए हमें फॉलो करें कि हमें सपोर्ट करें।fellow blog
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