मुसलमान सूअर क्यों नहीं खाते।
दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है मुसलमान आखिर क्यों सूअर नहीं खाते हैं।पवित्र कुरान के अनुसार भी सूअर का मांस खाना मुसलमानों के लिए हराम है। क्या है इसके पीछे कारण चलिए जानते हैं।यह भी पढ़ें-आईपीएस इंटरव्यू लड़की से पूछा गया सवाल तुम्हारे दो गोल गोल क्या लटके हुए हैं। जवाब सुनकर सभी हुए हैरान।
सूअर के शरीर में पसीना पैदा करने वाली ग्रंथि नहीं होती है। जिस कारण सूअर को पसीना नहीं आता है। इसलिए सूअर गर्मी से बचने के लिए कीचड़ में लौटते हैं। पसीना ना आने की वजह से सूअर की बॉडी काफी विषैली बन जाती है। और सूअर का मांस खाने के बाद उसे पचाने के लिए लगभग 5 से 6 घंटे का समय लगता है। इस मांस में toxin होता है जो हमारे लिवर के लिए काफी हानिकारक होता है। सूअर के मांस में एक भैंस के मांस से दूगना फैट होता है। जिससे शरीर में फैट बढ़ जाता है और कभी भी आपको हार्ड अटैक आ सकता है।
वैज्ञानिकों ने अपने सालों के रिसर्च के बाद बताया है अगर कोई व्यक्ति लगातार सूअर के मांस को खाता है तो हार्ट disease का खतरा काफी बढ़ जाता है। सूअर के मांस में कई तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं जैसे pinworm, hookworm, tapeworm जो बहुत खतरनाक होते हैं।
Tapeworm के अंडे हमारे खून के जरिए हमारे शरीर के अंदर कहीं पर भी जा सकते हैं और अगर यह दिमाग में चले जाए तो हमारा दिमाग डैमेज भी हो सकता है। कुरान के साथ साथ बाइबिल मे भी सूअर का मांस खाना मना है। ऐसा कहा जाता है जो हम खाते हैं उसका असर हमारे शरीर पर होता है हम सभी जानते हैं कि सूअर गंदा जानवर है जो मल मूत्र में रहना पसंद करता है। इतना ही नहीं सूअर तो अपना खुद का मल भी खा जाता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे मुसलमानों के लिए या किसी के लिए भी सूअर का मांस खाना क्यों मना है।
अंत में अब आपको इतना ही कहना चाहूंगा अगर हमारे धर्म ग्रंथों में कोई चीज़ लिखी है तो जरूर ही किसी मकसद से लिखी गई होगी। इसीलिए हर एक बात को गौर से समझिए।
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